बैंक पासबुक में ट्रांजेक्शन हो रहे ज्यादा, लोगों को आ रही दिक्कत
5-10 रुपए का भुगतान एप से, बैंक पासबुक जल्द हो रही फुल, नई का चार्ज ले रहे 100 रुपए

रायपुर : राजधानी के हजारों खाते फोन पे, गूगल पे, पेटीएम जैसे एप से लिंक होने के साथ ही अब लाेग 5 रुपए से लेकर 5000 तक का पेमेंट इन्हीं एप के किसी न किसी विकल्प से कर रहे हैं। लाेग एप के माधयम से जितनी भी रकम का पेमेंट कर रहे हैं, उन स भाी की एंट्री बैंक खाते में हाे रही है। यानी खाते में पाई पाई का हिसाब अपलोड हो रहा है।
ऐसे में लोग अब जब भी बैंक की पासबुक में इंट्री कराने पहुंच रहे हैं, दिक्कत आ रही है, क्योंकि ट्रांजेक्शन इतना ज्यादा हो रहा है कि लोगों की पासबुक छोटे-छोटे ट्रांजेक्शन से ही तुरंत भर जा रही है। पासबुक में एंट्री फुल होने के बाद बैंक वाले दूसरी पासबुक देने के लिए लोगों से 50 से 100 रुपए तक शुल्क ले रहे हैं। इंकम टैक्स, जीएसटी रिटर्न के अलावा कई कामों के लिए बैंक पासबुक ट्रांजेक्शन की कॉपी जमा करना अनिवार्य होता है। इसलिए लोगों को मजबूरी में आखिरी छह महीने के ट्रांजेक्शन के लिए दूसरी पासबुक लेना ही पड़ रहा है।
स्टेटमेंट भी कई पेज में निकल रहे, खाते से कट हो रहे पैसे, पता भी नहीं चलता :
बैंक पासबुक की तरह ही बैंक स्टेटमेंट के लिए भी लोगों को शुल्क देना पड़ रहा है। अभी ज्यादातर बैंक वाले स्टेटमेंट के एक पेज के लिए पांच से 10 रुपए तक चार्ज कर रहे हैं। यह रकम स्टेटमेंट लेने वालों के खाते से कट रही है। इस वजह से कई बार लोगों को पता ही नहीं चलता कि स्टेटमेंट के लिए उनके खाते से पैसे लिए जा रहे है। छोटे-छोटे ट्रांजेक्शन की वजह से पेजों की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे में 50 पेज तक के लिए लोगों को 500 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। आमतौर पर लोगों के स्टेटमेंट कम से कम पांच से दस पेज में तो निकल ही रहे हैं। इसलिए लोगों को 50 से 100 रुपए देने ही पड़ रहे हैं।
दो से तीन साल में 10 गुना बढ़े लिंक कराने वाले, क्योंकि नहीं लगता कोई शुल्क :
छत्तीसगढ़ राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की रिपोर्ट के अनुसार रायपुर समेत राज्यभर में दो से तीन साल में ही वॉलेट एप से भुगतान करने वाले लोगों की संख्या 10 गुना तक बढ़ गई है। समिति का दावा है कि जहां-जहां इंटरनेट की कनेक्टिविटी है वहां लगभग सभी बैंक खाते वाले लोग वॉलेट एप से ही रकम का भुगतान कर रहे हैं। अभी शहर का ऐसा कोई बाजार या दुकान नहीं है जहां ऑनलाइन पेमेंट के लिए स्कैनर न लगा हो। छोटे-छोटे ठेलों से बड़े-बड़े शो रूम तक ऑनलाइन पेमेंट के लिए स्कैनर लगे हैं। दरअसल कोई भी स्कैनर बनाने वाली कंपनियां दुकानदारों को फ्री में स्कैनर बनाकर देती है। इसलिए सभी दुकानदार इसे अपनी दुकान में लगवा लेते हैं।
नए नियमों के तहत नई पासबुक लेने पर लिया जा रहा शुल्क :
कारोबारियों समेत संस्थाओं को अभी 30 सितंबर तक इंकम टैक्स और जीएसटी रिटर्न फाइल करना है। ऐसे में बैंकों में पासबुक इंट्री कराने और ट्रांजेक्शन की कॉपी लेने वालों की भीड़ भी बढ़ गई है। इसका सीधा फायदा बैंक वालों को हो रहा है। इस संबंध में बैंक के आला अधिकारियों का कहना है कि देशभर के सभी बैंकों में यह नियम एक जैसा है। इसलिए इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। नया खाता खोलते समय पहली पासबुक फ्री दी जाती है। इसके बाद अभी नए नियमों के तहत नया पासबुक लेने के लिए चार्ज किया जा रहा है। निजी बैंकों में यह शुल्क और ज्यादा है। कुछ प्राइवेट बैंक ऐसे भी हैं जिनके पास इस महीने पासबुक खत्म हो गई थी। करीब एक हफ्ते के इंतजार के बाद लोगों को नई पासबुक जारी की गई।